इस संसार में हर व्यक्ति अपने जीवन में सुख एवं समृद्धि की कामना रखता है | लेकिन मानव जीवन सुख-दुःख एवं संघर्षों का सम्मिश्रण है | प्रश्न उठता है कि क्या हर व्यक्ति के सुख का आधार एक जैसा होता है ? क्या सुखी जीवन की चाहत के लिए कोई सर्वमान्य कार्य का मापदण्ड निर्धारित है ? इस पर विचार करने पर ऐसा लगता है कि जीवन में सुख-दुःख के बारे में हर व्यक्ति की अपनी अलग सोच होती है | किसी व्यक्ति को धन प्राप्त करने में तो किसी को धन के उपभोग में सुख प्राप्त होता है | किसी को शारीरिक सुख तो किसी को मानसिक और किसी को आध्यात्मिक सुख की चाहत होती है | किसी को दूसरों की सहायता करने और सुख देने में सुख मिलता है, तो किसी को दूसरों को परेशान करने और दुःख देने में सुख की अनुभूति होती है | सबकी सोच अलग-अलग है | कहा गया है - विद्या विवादाय धनम् मदाय, शक्तिः परेषाम् परिपीडनाय | खलस्य सधोर्विपरीतमेतत, ज्ञानाय दानाय च रक्षणाय || अर्थात् दुर्जन व्यक्ति के अनुसार विद्या विवाद के लिए, धन घमण्ड या प्रदर्शन के लिए और शक्ति दूसरों को दुःख पहुँचाने के लिए होती है, जबकि इसके विपरीत सज्जन व्यक्तियों के लिए विद्या ज्ञान के लिए, धन दान के लिए और शक्ति कमजोर लोगों की रक्षा के लिए होती है | इन सब विरोधाभाषों के होते हुए भी स्वस्थ एवं निरोगी शरीर हर व्यक्ति के सुखी जीवन की आधारशिला है | इसीलिए मानव जीवन के सुखों में पहला सुख "निरोगी काया" को माना जाता है | जीवन में अगर स्वस्थ शरीर नहीं है तो अन्य सुखों को प्राप्त नहीं किया जा सकता, और यदि किसी तरह प्राप्त भी कर लिया जाय तो उसका उपभोग नहीं किया जा सकता है | अगर व्यक्ति अस्वस्थ है, रोगी है, चलने फिरने की शक्ति नहीं है, तो क्या वह धन प्राप्त कर सकता है ? उसका उपभोग कर सकता है ? दूसरों की सहायता पूरे मनोयोग से कर सकता है ? सामने छप्पन भोग पड़े हों, लेकिन डॉक्टर दाल का जूस, बिना तेल, नमक, मसाले की सब्जी ही लेने के लिए बोला हो तो सामने रखा छप्पन भोग किस काम का ? इस तरह विचार करने पर निष्कर्ष निकालता है कि जीवन का सबसे बड़ा सुख स्वस्थ शरीर ही है | कहा जाता है कि "स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मष्तिष्क का निवास होता है" | मनुष्य की शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक क्षमता भी उसके स्वास्थ्य पर निर्भर होती है | मनुष्य के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए निम्नलिखित बातों और क्रियाकलापों को जीवन में समावेशित करना चाहिए - 1. नियमित दिनचर्या समय पर सोना, समय से उठना, समय से नाश्ता, भोजन एवं दैनिक कार्य | 2. योग एवं व्यायाम स्वास्थ्य के लिए जीवन में नियमित योग एवं व्यायाम की आवश्यकता होती है | योग व्यायाम के अन्तर्गत दौड़ना, टहलना, योगासन, प्राणायाम, ध्यान मुद्रा इत्यादि आते हैं | योग व्यायाम का चुनाव शरीर की आवश्यकता, समय की उपलब्धता एवं उम्र को ध्यान में रख कर करना चाहिए | 3. स्वस्थ, पौष्टिक एवं संतुलित आहार भोजन में तेल, मसाला, नमक, चीनी का कम से काम प्रयोग करना चाहिए | हरी साग-सब्जियों का प्रयोग ज्यादा करना चाहिए | जंक फ़ूड के प्रयोग से बचना चाहिए | भोजन के बीच में या भोजन के उपरान्त तुरन्त पानी नहीं पीना चाहिए | 4. सकारात्मक सोच सकारात्मक सोच व्यक्ति के अन्दर सकारात्मक उर्जा का संचार करती है | शारीरिक, एवं मानसिक क्षमता का विकास करती है |
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